‘बीमारी से ज्यादा इलाज है मुश्किल’: कैंसर के दर्द को याद कर इमोशनल हुईं किरण खेर

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति के शरीर को ही नहीं, बल्कि उसकी मानसिक स्थिति को भी बुरी तरह प्रभावित करती है। इस बीमारी से गुजरने वाले व्यक्ति को न सिर्फ शारीरिक कष्ट सहना पड़ता है, बल्कि उसके परिवार और करीबी लोगों को भी मानसिक और भावनात्मक झटके का सामना करना पड़ता है। बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री और वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता, किरण खेर ने हाल ही में अपने कैंसर के संघर्ष के बारे में खुलकर बात की और बताया कि कैसे यह यात्रा उनके लिए शारीरिक और मानसिक रूप से बेहद कठिन रही।

किरण खेर, जो न केवल फिल्मों में अपने दमदार अभिनय के लिए मशहूर हैं, बल्कि राजनीति में भी सक्रिय भूमिका निभाती हैं, ने कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से संघर्ष किया है। उन्होंने अपनी इस कठिन यात्रा के बारे में बात करते हुए बताया कि किस प्रकार यह अनुभव उनके जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण समय रहा। उन्होंने न केवल बीमारी से जूझा, बल्कि इलाज के दौरान होने वाली कठिनाइयों को भी सहा।

इस लेख में, हम किरण खेर की कैंसर से जंग, उनके इलाज का अनुभव, और मानसिक रूप से किस तरह उन्होंने खुद को मजबूत बनाए रखा, इन सबके बारे में जानने की कोशिश करेंगे।

1. किरण खेर की कैंसर से लड़ाई की शुरुआत

किरण खेर के कैंसर की खबर जब पहली बार सामने आई, तो यह उनके फैंस और पूरे फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा झटका था। 2021 में यह खबर आई थी कि किरण खेर मल्टीपल मायलोमा (Multiple Myeloma) नामक कैंसर से पीड़ित हैं, जो कि एक प्रकार का रक्त कैंसर है। इस बीमारी में शरीर के प्लाज्मा कोशिकाओं में कैंसर विकसित होता है, जो अस्थि-मज्जा में पाया जाता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है।

किरण खेर ने बताया कि जब उन्हें पहली बार इस बीमारी के बारे में पता चला, तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ। वह इसे स्वीकार नहीं कर पा रही थीं कि उन्हें इतनी गंभीर बीमारी हो गई है। कैंसर का निदान उनके और उनके परिवार के लिए एक बेहद कठिन समय लेकर आया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

2. इलाज की प्रक्रिया: शारीरिक और मानसिक कष्ट

किरण खेर ने बताया कि कैंसर से ज्यादा उसका इलाज मुश्किल और कष्टकारी था। उन्होंने कीमोथेरेपी और अन्य उपचारों के दौरान जिन शारीरिक कष्टों का सामना किया, वह किसी भी व्यक्ति के लिए बेहद दर्दनाक हो सकता है। कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव के चलते शरीर में कमजोरी, उल्टी, भूख न लगना, और बालों का झड़ना जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। किरण खेर ने भी इन सब कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन सबसे कठिन उनके लिए मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बने रहना था।

कैंसर के इलाज के दौरान होने वाले कष्टों को याद करते हुए किरण खेर ने कहा कि शारीरिक दर्द तो एक हद तक सहा जा सकता है, लेकिन मानसिक दर्द को संभालना बहुत कठिन होता है। उन्हें कई बार ऐसा महसूस हुआ कि अब वह इस दर्द को और सहन नहीं कर पाएंगी, लेकिन अपने परिवार और दोस्तों के समर्थन के कारण वह इस कठिन समय से बाहर निकल पाईं।

3. परिवार का समर्थन और सकारात्मक सोच का महत्व

किरण खेर के पति, अभिनेता अनुपम खेर और उनके बेटे सिकंदर खेर ने इस मुश्किल वक्त में उनके साथ मजबूती से खड़े रहे। अनुपम खेर ने कई बार सोशल मीडिया पर भी किरण खेर की कैंसर से लड़ाई की जानकारी दी और उनके फैंस से प्रार्थना करने की अपील की। परिवार के इस समर्थन ने किरण खेर को मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखा।

किरण खेर ने कहा कि कैंसर जैसी बीमारी में सिर्फ दवाओं और इलाज से ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से मजबूत बने रहने से भी लड़ाई जीती जा सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे उन्होंने खुद को सकारात्मक बनाए रखा और कठिन समय में भी उम्मीद नहीं छोड़ी।

किरण खेर का कहना है कि मानसिक रूप से मजबूत बने रहना और हर दिन को एक नई शुरुआत के रूप में देखना जरूरी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैंसर से लड़ने के लिए सिर्फ शरीर को ही नहीं, बल्कि मन को भी मजबूत रखना जरूरी है।

4. फिल्मी दुनिया से दूर, राजनीति में सक्रिय भूमिका

कैंसर के इलाज के चलते किरण खेर को अपनी फिल्मी और राजनीतिक जिम्मेदारियों से कुछ समय के लिए दूर होना पड़ा। हालांकि, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने इलाज के बाद धीरे-धीरे काम पर लौट आईं।

किरण खेर ने राजनीति में भी अपना सक्रिय योगदान दिया है। वह चंडीगढ़ से भाजपा की सांसद हैं और अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियों को पूरी गंभीरता से निभाती हैं। कैंसर के इलाज के दौरान भी उन्होंने कई बार अपने समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं से संवाद बनाए रखा।

5. कैंसर के बाद की जिंदगी: नई उम्मीद और नई शुरुआत

किरण खेर के कैंसर के बाद की जिंदगी में बहुत से बदलाव आए। उन्होंने अपने स्वास्थ्य का खास ख्याल रखना शुरू किया और अपने जीवन को एक नई दृष्टि से देखने लगीं। उन्होंने बताया कि कैंसर ने उन्हें जीवन की असली कीमत समझाई और अब वह हर पल को जीने की कोशिश करती हैं।

कैंसर के बाद किरण खेर ने फिल्मों और राजनीति में वापसी की, लेकिन वह अब पहले से ज्यादा सतर्क और अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो गई हैं। उन्होंने अपने अनुभव से सीखा कि कैसे जीवन में कठिन समय से बाहर निकला जा सकता है और इस सीख को वह अब दूसरों के साथ भी साझा करती हैं।

6. कैंसर जागरूकता का संदेश

किरण खेर ने अपने कैंसर के अनुभव से एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि कैंसर का निदान जीवन का अंत नहीं है, बल्कि यह एक नई शुरुआत हो सकती है, अगर इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाए। उन्होंने यह भी कहा कि कैंसर से लड़ने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बने रहना जरूरी है और इसके लिए परिवार और दोस्तों का समर्थन बहुत महत्वपूर्ण होता है।

किरण खेर ने कैंसर जागरूकता पर जोर दिया और कहा कि समय पर निदान और सही इलाज से इस बीमारी से बाहर निकला जा सकता है। उन्होंने कैंसर पीड़ितों से अपील की कि वे हिम्मत न हारें और हर दिन को एक नई चुनौती के रूप में लें।

7. आखिरी शब्द: एक प्रेरणादायक संघर्ष की कहानी

किरण खेर की कैंसर से जंग केवल उनकी शारीरिक लड़ाई नहीं थी, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक रूप से भी एक कठिन यात्रा थी। उन्होंने अपने जीवन में जिस साहस और धैर्य का परिचय दिया, वह सभी के लिए प्रेरणादायक है।

उनका संघर्ष यह सिखाता है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयां क्यों न हों, अगर व्यक्ति मानसिक रूप से मजबूत बना रहे और उसे अपने परिवार और दोस्तों का समर्थन मिले, तो वह किसी भी मुश्किल से बाहर निकल सकता है। किरण खेर की यह कहानी कैंसर से जूझ रहे उन सभी लोगों के लिए उम्मीद की किरण है, जो इस कठिन समय में खुद को अकेला और निराश महसूस करते हैं।

किरण खेर ने कैंसर को मात दी और यह साबित कर दिया कि बीमारी से ज्यादा महत्वपूर्ण है उसका सामना करने का तरीका। उनके इस संघर्ष ने उन्हें और भी मजबूत बनाया और उनके फैंस और चाहने वालों को यह सिखाया कि जिंदगी में कभी हार नहीं माननी चाहिए।

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