नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र में महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक नीतियों को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। प्रमुख विपक्षी दलों ने मुद्रास्फीति, बेरोजगारी दर और किसान आंदोलन को लेकर सरकार को घेरा, जबकि सरकार ने अपने जवाब में आर्थिक सुधारों और विकास योजनाओं की उपलब्धियां गिनाईं।
संसद में उठे प्रमुख मुद्दे
✅ महंगाई और पेट्रोल-डीजल के दाम: विपक्ष ने सरकार से पूछा कि बढ़ती खाद्य वस्तुओं की कीमतें और ईंधन दरों को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
✅ बेरोजगारी: युवाओं के लिए रोजगार के अवसर कम होने की बात उठाते हुए, विपक्ष ने सरकार से रोजगार सृजन के नए उपायों पर जवाब मांगा।
✅ किसान आंदोलन और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): कई सांसदों ने सरकार से पूछा कि MSP को कानूनी दर्जा देने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
सरकार का जवाब
📢 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जवाब दिया कि महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजार में अस्थिरता और ईंधन कीमतों में वृद्धि का असर भारत पर भी पड़ रहा है, लेकिन सरकार कीमत नियंत्रण के लिए कई योजनाएँ लागू कर रही है।
📢 श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि सरकार स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया और PMEGP जैसी योजनाओं से रोजगार के अवसर बढ़ा रही है।
विपक्ष का पलटवार
विपक्ष ने सरकार के जवाबों को असंतोषजनक बताते हुए कहा कि आंकड़ों के बजाय जमीनी हकीकत पर ध्यान देना जरूरी है।
विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मुद्रास्फीति और बेरोजगारी को लेकर सरकार को और ठोस कदम उठाने की जरूरत है। साथ ही, बजट सत्र में घोषित नीतियों के प्रभाव को भी नज़दीकी से देखने की जरूरत होगी।
निष्कर्ष
संसद में यह बहस इस बात की ओर इशारा करती है कि आने वाले समय में महंगाई और रोजगार सबसे महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दे बन सकते हैं। सरकार को अगले कुछ महीनों में इस पर ठोस कदम उठाने होंगे ताकि जनता को राहत मिल सके।