
Written by: ASIYA SHAHEEN
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता Rahul Gandhi ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि सावरकर पर दिए गए अपने बयान के बाद से उन्हें जान का खतरा महसूस हो रहा है। उन्होंने अपने संबोधन में महात्मा गांधी की हत्या का जिक्र करते हुए कहा कि “हमें इतिहास को दोहराने नहीं देना चाहिए।”
बयान के बाद बढ़ा विवाद
हाल ही में महाराष्ट्र के एक कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने सावरकर के विचारों की आलोचना की थी। इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में बवाल मच गया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और हिंदुत्व समर्थक संगठनों ने उनके बयान को ‘देश विरोधी’ बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी। कई नेताओं ने सार्वजनिक मंच से माफी की मांग की।
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,
“मैंने जो कहा, वह ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित था। लेकिन अब जिस तरह से धमकियां मिल रही हैं, उससे साफ है कि असहमति जताने की आज भी कीमत चुकानी पड़ती है।”
महात्मा गांधी हत्या का संदर्भ
राहुल गांधी ने कहा कि इतिहास हमें सिखाता है कि नफरत और कट्टरता किस हद तक बढ़ सकती है। उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या का जिक्र करते हुए कहा,
“गांधी जी को गोली मारने वाला व्यक्ति भी नफरत से प्रेरित था। हमें इस नफरत की राजनीति को रोकना होगा।”
उन्होंने आरोप लगाया कि आज के दौर में कुछ ताकतें वैसी ही विचारधारा को बढ़ावा दे रही हैं, जो महात्मा गांधी की हत्या के समय सक्रिय थी।
सुरक्षा को लेकर चिंता
राहुल गांधी ने कहा कि सावरकर पर दिए गए बयान के बाद से उन्हें कई धमकी भरे फोन और संदेश मिल रहे हैं। उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों को इस बारे में सूचित किया है।
“यह केवल मेरी जान का मामला नहीं है, बल्कि लोकतंत्र में असहमति की आवाज़ को दबाने की कोशिश है।”
कांग्रेस का समर्थन
कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि वे सच्चाई बोलने से पीछे नहीं हटेंगे। पार्टी प्रवक्ता ने कहा,
“राहुल जी ने जो कहा, वह हमारे देश के इतिहास और तथ्यों पर आधारित है। हम उन्हें पूरी तरह समर्थन देते हैं और उनकी सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं।”
भाजपा का पलटवार
भाजपा ने राहुल गांधी के बयान को ‘राजनीतिक नाटक’ बताया। भाजपा प्रवक्ता ने कहा,
“राहुल गांधी हमेशा देश के महापुरुषों का अपमान करते रहे हैं। सावरकर जी ने स्वतंत्रता संग्राम में जो योगदान दिया, उसे कोई नकार नहीं सकता। यह जान का खतरा बताकर sympathy politics खेलने का प्रयास है।”
सोशल मीडिया पर बहस
Rahul Gandhi के बयान के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। कांग्रेस समर्थकों ने जहां उनके साहस की तारीफ की, वहीं विरोधियों ने इसे ‘ड्रामा’ करार दिया। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #RahulGandhi और #Savarkar हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
इतिहास और वर्तमान की टकराहट
विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद सिर्फ राहुल गांधी या सावरकर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की विचारधारात्मक लड़ाई का हिस्सा है। एक तरफ राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की विचारधारा है, तो दूसरी तरफ धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी सोच।
इतिहासकारों के मुताबिक, स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सावरकर और गांधी जी की सोच में काफी अंतर था। गांधी जी अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग पर चले, जबकि सावरकर सशस्त्र संघर्ष के समर्थक थे।
लोकतंत्र में असहमति का महत्व
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा कि लोकतंत्र की असली ताकत असहमति को स्वीकार करने में है। उन्होंने कहा,
“अगर हम अपने इतिहास से नहीं सीखेंगे, तो वही गलतियां दोहराएंगे। हमें डर और धमकियों से ऊपर उठकर सच बोलना होगा।”
निष्कर्ष
यह विवाद आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है, खासकर महाराष्ट्र और केंद्र की राजनीति में। सावरकर का मुद्दा हमेशा से ही संवेदनशील रहा है, और जब भी कोई बड़ा नेता इस पर टिप्पणी करता है, राजनीतिक तूफान उठना तय है।
Rahul Gandhi के लिए यह बयान राजनीतिक रूप से फायदेमंद होगा या नुकसानदायक, यह समय बताएगा। लेकिन इतना तय है कि इस विवाद ने एक बार फिर देश में इतिहास, विचारधारा और लोकतंत्र के मायने पर बहस को तेज कर दिया है।
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